दार्जिलिंग के बारे में संपूर्ण जानकारी



दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल राज्य के उत्तर में स्थित एक खूबसूरत जगह है और पूर्वी हिमालय की तलहटी में स्थित है। दार्जिलिंग के जिलों की सीमाएं बांग्लादेश, भूटान और नेपाल जैसे देशों के साथ मिलती हैं।[i].. यह समुद्र तल से 2134 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और विभिन्न बौद्ध मठों और हिमालय की शक्तिशाली चोटियों से घिरा हुआ है। यहां की वादियां बेहद मनमोहक हैं और यह एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। दार्जिलिंग सिर्फ चाय के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध तो है ही बल्कि अपनी खूबसूरती के कारण भी यह शहर दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। [i]..यहां के ज्यादातर निवासी बौद्ध हैं और दार्जिलिंग में ज्यातार नेपाली एवं बंगाली भाषा बोली जाती है। दार्जिलिंग में घूमने की कई जगहें तो मौजूद हैं ही, साथ में यहां शॉपिंग करने का भी अच्छा विकल्प मौजूद है। यही कारण है कि हर महीने लाखों लोग दार्जिलिंग की सैर करने पहुंचते हैं[i]..

कितने दिनों के लिए दार्जिलिंग आएं

दार्जिलिंग में घूमने लायक कई पर्यटन स्थल मौजूद हैं। इसलिए आपको कम से कम तीन दिन के टूर की योजना बनाकर ही यहां आना चाहिए। तीन दिनों में आप यहां के बहुत से स्थलों को देख सकते हैं।[i].. लेकिन यदि आप दार्जिलिंग की हिल्स बहुत अच्छे से घूमना और देखना चाहते हैं तो आपको पांच दिनों की प्लानिंग करके आना चाहिए। पहले दिन रात में आराम करने के बाद अगले दिन सुबह से आपकी घूमने की यात्रा शुरू हो जाती है।

दार्जिलिंग में घूमने लायक जगह


*यदि आपको पहाड़, घाटियाँ, हरियाली और चाय के बागान देखने का शौक है तो भारत का दार्जिलिंग जो  पश्चिम बंगाल का एक शहर है, आपके लिए एकदम उपयुक्त स्थान है।[i].. इन घाटियों में आप अपने सारे तनाव और चिंताओं से मुक्ति पा सकते हैं। यहाँ का सुहावना वातावरण आपकी छुट्टियों को सुहावना बनाने के लिए पर्याप्त है।[i]..

*दार्जिलिंग अपने दो चीजों के कारण भारत का सबसे ज्यादा मशहूर पर्यटक स्थल है एक तो विश्व की तीसरी सबसे ऊँची चोटी कही जाने वाली ‘कंचनचंगा’ के लिए और दूसरा यहाँ के चाय के बागान के लिए। इसके आलावा भी यहाँ ऐसे अनेक स्थान हैं जहाँ आप एक नया और रोमांचित अनुभव कर सकते हैं।  [i]..

दार्जिलिंग का इतिहास


*प्राकृतिक सुन्दरता से लबालेब भारत का यह शहर पहले सिक्किम का हिस्सा हुआ करता था, बाद में वह भूटान के अधीन आ गया है,[i].. 18वीं शताब्दी में नेपाल ने इस पर फिर कब्जा कर लिया। काफ़ी समय तक यह ईस्ट इण्डिया कंपनी के अधीन भी रहा। इतने राजनीतिक परिवर्तन के बाद दार्जिलिंग एक युद्ध भूमि सा बन गया था।

*दार्जिलिंग शब्द की उत्पत्ति दो तिब्बती शब्द ‘दोर्ज’ (ब्रज) ‘लिंग ‘(स्थान) से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ हुई ब्रज भूमि। 1856 के आस-पास दार्जिलिंग में चाय की खेती शुरू हुई। स्वतंत्रता के बाद यह भारत के अधीन हो गया और अब यह यहाँ का सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। [i]..

पहले दिन का दार्जिलिंग टूर- Day 1

दार्जिलिंग की ऊँची चोटी टाइगर हिल


नाम से ही ऐसा लगता है कि जगह कुछ दमदार और विशाल ज़रूर होगी।[i].. आहार आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप बिल्कुल ठीक सोच रहे हैं। दार्जिलिंग से 11 कि.मी. दूर घूम स्टेशन के पास स्थित यह पहाड़ की चोटी दार्जिलिंग के कंचनचंगा के बाद सबसे विशालतम चोटी है। [i]..

इस पहाड़ की ऊँचाई लगभग 8482 फीट है जहाँ से पूरा दार्जिलिंग शहर आपको एक खिलौनों की दुनिया जैसा लगेगा। टाइगर हिल पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में पर्यटक सूर्योदय के नजारों का आनंद उठाने आते हैं।[i].. इसकी ऊँचाई पर पहुँच कर सूर्य इतनी करीब महसूस होता है कि आप उसे छू सकते हो, ऐसा अहसास आपको होगा। 

बादलों की सफेद चादर एक कालीन की तरह प्रतीत होती है। [i]..जो आपको स्वर्ग सा अहसास कराने के लिए पर्याप्त है। सर्दी के मौसम में बर्फ की चादर से ढके पेड़ों और दार्जिलिंग शहर को देखना अनोखा अनुभव है जो सफ़ेद बर्फ से ढका होने के कारण चाँदी से चमकता है। इस हिल की चढ़ाई करने में आपको कम से कम 1 घंटे का समय लग सकता है।[i]..

दूसरे दिन का दार्जिलिंग टूर -Day 2

दार्जिलिंग का बतासिया लूप


दार्जिलिंग शहर के केंद्र में बतासिया लूप एक प्रमुख पर्यटक स्थल है।[i].. पहाड़ों के घूमावदार रास्तों को काटकर संतक और ढालूदार रास्तों के जरीय टॉय ट्रेन की लाइन बिछाई गई है। यह स्थान 360 डिग्री में दार्जिलिंग शहर और कंचनचंगा पहाड़ के सुंदर नजारों को प्रस्तुत करता है।[i]..

50,000 वर्ग फीट में फैले इस स्थान को एक सुंदर बाग की तरह बनाया गया है,[i].. जहाँ टॉय ट्रेन के जरीय आप पूरा स्थान घूम सकते हैं।[i].. इसके अलावा इस स्थान के बीच में एक युद्ध स्मारक भी बना हुआ है जिसमें गोरखी स्वतंत्रता सैनानियों के नाम एक बड़े ग्रेनाइड पत्थर पर अंकित किये गये हैं।

टॉय ट्रेन यात्रा के दौरान इस स्थान पर रूकती है [i]..जिससे आप शहीदों के इस स्मारक को अच्छी तरह देख सकते हैं। इसके अलावा बागीचे में देवदार, रोड़ोडेंड्रोन, गिंगको और बिलोबा आदि पौधों की दुर्लभ प्रजातियाँ देखने को मिल जाएँगी। 

तीसरे दिन का दार्जिलिंग टूर- Day 3

दार्जिलिंग की मशहूर आब्जर्वेटरी हिल


दार्जिलिंग की मशहूर ओब्जेर्वेटरी हिल मॉल रोड़ के पास स्थित है। यह स्थान अपनी अद्भुत सुन्दरता और घूमावदार पहाड़ी रास्तों के लिए पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है।[i].. इसके अलावा यह स्थान तिब्बती स्मारक और महाकाल मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।

इन मन्दिरों तक पहुँचने के लिए आपको 15 मिनट की पहाड़ीनुमा चढ़ाई करनी पड़ सकती है। साथ ही यहाँ एक गुफा भी है। इस चोटी पर पहुँच कर आपको प्रकृति का अनुपम ददृश्य प्राप्त होता है।[i].. तो अपने दार्जिलिंग के ट्रिप में इस स्थान को सम्मिलित करना बिलकुल न भूलें। 

चौथे दिन का दार्जिलिंग टूर - Day4

दार्जिलिंग का प्रमुख स्थान श्रुब्बेरी नाइटिंगेल पार्क 


दार्जिलिंग का श्रुब्बेरी नाइटिंगेल पार्क एक बेहद ही सुंदर स्थान है।[i].. यह सुंदर पार्क अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के साथ कंचनचंगा के अद्भुत दृश्यों को भी यहाँ से देखा जा सकता है। 

कहा जाता है ब्रिटिश काल में यह पार्क सर् थोमस टर्टन के निजी घर का आँगन हुआ करता था [i]..जिसे बाद में एक सार्वजनिक पार्क में तब्दील कर दिया गया। अपनी पार्क की सुन्दरता के अलावा यहाँ एक विशाल शिव की मूर्ति है और साथ ही एक म्यूजिकल फव्वारा भी। 

शाम के समय इस स्थान की रौनक ही अलग होती है।[i].. इसलिए इस स्थान का दौर करना आपके ट्रिप का ज़रूरी हिस्सा होना चाहिए।

पाँचवे दिन का दार्जिलिंग टूर - Day 5

दार्जिलिंग का पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क


दार्जिलिंग के मशहूर जूलॉजिकल पार्क का नाम सरोजिनी नायडू की बेटी पद्मजा नायडू के नाम पर रखा गया है।[i].. इस पार्क को सेंट्रल जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया के रेड पांडा कार्यक्रम के अधीन बनाया गया था।

इस जूलॉजिकल पार्क में हिम तेंदुए, तिब्बतीए भेड़िये, एशियाटिक काला भालू, कलाउडर तेंदुआ, रेड पांडा, गोरल, नीली भेड़ और अन्य हिमालयन की लूप्त और समाप्तप्राय प्रजातियों को सुरक्षित रखा गया है।[i]..

यह पार्क इतना सुंदर है और इतने आकर्षक तरीके से इसका रखरखाव किया गया है कि यह भारत के बेहतर चिड़ियाघरों में से एक है।

छठे दिन का दार्जिलिंग टूर - Day 6

दार्जिलिंग की तीस्ता और रेजेंट नदी राफ्टिंग का केंद्र


दार्जिलिंग अपनी प्राकृतिक सुंदरता में अपने पहाड़, चोटी, घाटियों के अलावा अपनी नदियों के लिए भी प्रसिद्ध है। तीस्ता और रेजेंट नदी दार्जिलिंग और सिलीगुड़ी की घाटियों से निकलती हैं जो लगभग 172 कि.मी. लंबी हैं।[i]..

ये नदियाँ दार्जिलिंग में रिवर राफ्टिंग और अन्य पानी से जुड़ी गतिविधियों के लिए मशहूर हैं। 1-4 लेवल तक रैपिड्स इन नदियों में राफ्टिंग के लिए अनुमतिप्राय हैं।[i].. तीस्ता नदी में कोई भी व्यक्ति राफ्टिंग करने जा सकता है लेकिन रेजेंट नदी में केवल ट्रेंड राफ्ट्रस को इजाजत है। 

सातवे दिन का दार्जिलिंग टूर - Day 7

दार्जिलिंग का प्रसिद्ध रॉक गार्डन


दार्जिलिंग से 10 कि.मी. दूर हिमालय की सुंदर पहाड़ियों के बीच रॉक गाडर्न स्थित है। बारबोटी गार्डन के नाम से भी जाना जाने वाला यह स्थान पर्यटकों के लिए एक प्रमुख पिकनिक स्पॉट है। जहाँ हर वर्ष भारी मात्रा में यात्री आकर घाटियों, पहाड़ियों और गार्डन का आनंद उठाते हैं।[i]..

इस रॉक गार्डन में विभिन्न तरह के फूल आपके भीतरी मन को भी रंगीन कर देते हैं। ढालूदार रास्तों के कारण आस-पास का वातावरण अत्यंत रमणीय होता है।[i].. इसके अलावा पार्क में एक म्यूजिकल फव्वारा भी है और ढलान के नीचे एक झील भी है।

यहाँ शान्ति से बैठना आपको अलग ही शांति प्रदान करेगा। [i]..साथ ही झील के आप-पास की हरियाली और जीव-जन्तु आपके मन को प्रसन्नचित कर देंगे।

आठवे दिन का दार्जिलिंग टूर - Day 8

दार्जिलिंग की संदकफू पहाड़ी


संदकफू दार्जिलिंग की प्रमुख पहाड़ी चोटियों में से एक है।[i].. यह चोटी लगभग 11,491 फीट ऊँची है। इस चोटी की विशेषता यह है कि दुनिया की पाँच सबसे ऊँची चोटियों में से 4 के अद्भुत दृश्य इस चोटी से देखे जा सकते हैं। कोबरा लिली के बहुत फूल होने के कारण इसे ‘जहरीले पौधे की चोटी’ भी कहा जाता है। 

यहाँ रोडोडेंड्रोन, मैगनोलियास के साथ हरे-भरी घाटियों के कारण यह जगह बहुत ही सुंदर है।[i].. लेकिन यह जगह और इस पहाड़ी की चढ़ाई इतनी आसान नहीं है, इसलिए आपको शारीरिक रूप से पूर्णता स्वस्थ होना चाहिए।

दार्जिलिंग घूमने का सबसे सही समय 

दार्जिलिंग घूमने का सही समय मार्च से जून तक सबसे अच्छा समय है [i]..क्योंकि जब भारत के अन्य राज्यों में भारी गर्मी पड़ रही होती है तब यहाँ का तापमान 14 से 8 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। 

बरसात में यहाँ भारी मात्रा में वर्षा होती है और सर्दी के मौसम में यहाँ का तापमान 1 डिग्री तक गिर जाता है।[i].. दिसंबर से फरवरी में यहाँ कपल्स हनीमून सेलिब्रेट करने यहाँ आते हैं। 

दार्जिलिंग के मशहूर बाजार और प्रमुख खरीदारी की चीज़ें


खरीददारी के शौकीन लोगों को नई जगहों को एक्सप्लोर करना उतना ही भाता है[i].. जितना कि छुट्टियों का आनंद लेना। खरीदारी आपकी छुट्टियों का हिस्सा बन ही जाती है। तो जब भी आप दार्जिलिंग आयें तो यहाँ के बाजारों की सैर करना न भूलें। 

यहाँ आपको दार्जिलिंग की मशहूर चाय के अलग-अलग फेल्वर्स के साथ कई हस्तशिल्प की वस्तुएँ, ऊनी सकार्फ़ और टोपी, जंक जूलरी, और[i].. कई तरह की एंटिक आइटम आपको यहाँ के बाजारों में मिल सकती हैं। 

नेहरु रोड़- लेदर बैग, वुलंस, बुक्स, हस्तकला की वस्तुएँ[i]..

बतासिया लूप- घर सजाने की वस्तुएँ, दार्जिलिंग चाय, [i]..

घूम मोनेर्स्ट्री- तिब्बतियन हस्तकला की वस्तुएँ, सिंगिंग बेल्स, प्रार्थना फ्लैग्स, ठंगास[i]..

तीस्ता बाजार- शिकार की वस्तुएँ, पेंटिंग्स, चप्पलें[i]..

पशुपति नगर- ऊनी कपड़े, चाय और अन्य वस्तुएँ[i]..

मॉल रोड़-फैंसी जूलरी, ऊनी कपड़े, शॉल, स्कार्फ[i]..

चौक बाजार- जूलरी, चाय और ऊनी कपड़ों [i]..

दार्जिलिंग का फेमस खान


भारत का यह शहर जितना अपनी प्राकृतिक सुन्दरता, हिमायल के हसीन दृश्य, चाय के बागान, सुहावने मौसम के लिए जितना प्रसिद्ध है उतना ही यह अपने तिब्बतियन व्यंजनों और अन्य स्वादिष्ट व्यजंनों के लिए भी जाना जाता है।[i].. यह व्यंजन जितने दिखने में सुंदर लगते हैं खाने में भी इनका जवाब नहीं होता। 

गोरखाओं, खम्पा, लेप्चा, शेरपाओं की संस्कृति लिए यह शहर अनेक व्यजंन आपके सामने प्रस्तुत करता है। जिनमें तुपका (नुडल सूप), पारंपरिक नेपाली थाली [i]..(दाल, भात, तरकारी, आचार, चटनी और मीठा), नागा किसीने, कुर्पे (स्नैक्स), मोमस, आलू दम, सेल रोतिस, चांग, शाफालय और यहाँ की मशहूर दार्जिलिंग चाय आपके मुँह में पानी लाने के लिए काफी है।

दार्जिलिंग कैसे पहुँचे

दार्जिलिंग पहुँचने के लिए देश के कई राज्यों से सीधे बस, ट्रेन और हवाई जहाज की सुविधा उपलब्ध है। जहाँ से आप आसानी से दार्जिलिंग पहुँच सकते हैं।

फ्लाईट के रास्ते दार्जिलिंग कैसे पहुँचे


दार्जिलिंग का सबसे निकटम हवाई अड्डा बागडोरगा हवाई अड्डा है[i]..। यह हवाई अड्डा दार्जिलिंग से लगभग 88 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। जहाँ से आप किसी भी कैब या प्राइवेट टैक्सी के द्वारा लगभग 3 घंटे के सफ़र के बाद दार्जिलिंग पहुँच सकते हैं।

ट्रेन के रास्ते दार्जिलिंग कैसे पहुँचे 


ट्रेन के रास्ते दार्जिलिंग पहुँचने के लिए आपको न्यू जलपाईगुड़ी जाना होगा[i].. और फिर वहाँ से लगभग 80-84 कि.मी. दूरी का रास्ता तय करके आप दार्जिलिंग पहुँच सकते हैं। न्यू जलपाईगुड़ी से भारत के मेट्रो राज्य जुड़े हुए हैं।

सड़क के रास्ते दार्जिलिंग कैसे पहुँचे 


सड़क मार्ग के रास्ते दार्जिलिंग पहुँचने के लिए आपको सिलीगुड़ी के रास्ते दार्जिलिंग पहुँचना होगा।[i].. सिलीगुड़ी तक पहुँचने के लिए भारत के कई बड़े राज्यों से सीधे बस सेवा उपलब्ध है। सिलीगुड़ी से आगे आप कैब या टैक्सी के सहारे दार्जिलिंग पहुँच सकते हैं।

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