बद्रीनाथ धाम चारधाम यात्रा का मुख्य पड़ाव

आस्थाओं के शहर की जो चार धामों में से एक सबसे मुख्य पड़ाव है जो कि 'भगवान विष्णु की नगरी' कहलाती है। जी हाँ दोस्तों मैं बात कर रही हूँ भगवान के शहर 'बद्रीनाथ' की।[i].. कहा जाता है कि यहाँ कभी बेरों के वृक्षों की बहुत संख्या थी इसलिए इसका नाम 'बदरीवन' पड़ गया। इस नगर को लेकर यह भी कहा जाता है की 'बद्रीनाथ' का निर्माण भगवान महादेव ने अपनी पत्नी माता पार्वती के लिए करवाया था। लेकिन इस नगर को भगवान महादेव ने भगवान विष्णु को भेंट में दे दी थी। इसलिए यह नगरी 'भगवान विष्णु की नगरी' है।[i]..

इस मंदिर में आप भगवन विष्णु के साथ माता लक्ष्मी, कुबेर जी, उद्धव जी, गरुड़ जी, नारद जी आदि की मूर्तियां देख सकते हैं।[i].. हर साल हज़ारों की तादाद में भक्तों की भीड़ उमड़ती है सब ऊँची नीची पहाड़ियों को पार कर भगवान के दर्शन करने आते हैं। यहाँ से आप सूर्योदय और सूर्यास्त का अद्भुत नज़ारा कर सकते हैं।[i]..

बद्रीनाथ मंदिर

बद्रीनारायण के नाम से जाना जाने वाला विशाल आस्थाओं से सराबोर बद्रीनाथ मंदिर मोक्ष प्राप्ति का मुख्य द्वार है। यहाँ चार धामों में से एक धाम भी है।[i]..

भीम पुल

विशाल चट्टान द्वारा प्राकृतिक रूप से बना पुल भीम पुल कहलाता है[i].. जो कि सरस्वती नदी के ऊपर से निकला है। यहाँ गणेश गुफा, व्यास गुफा आदि भी दर्शनीय है। पर्यटक यहाँ इस पुल के साथ साथ इन गुफाओं के भी दर्शन करने आते हैं।

वसुधरा

वसुधरा झरना बेहद लुभावना व मनोरम दृश्यों वाला है। हालांकि इस झरने तक पहुँचने वाला रास्ता बेहद कठिन व साहसपूर्ण है यहाँ तक आना किसी जोखिम को उठाने जैसा है।[i].. परन्तु यहाँ का वातावरण पर्यटकों को यहाँ आने से रोक नहीं पाता है।

सतोपंथ झील

सतोपंत झील तक़रीबन 1 किलोमीटर के दायरे में फैली हुई बेहद लुभावनी झील है। हालांकि यहाँ तक पहुँचने के लिए पर्यटकों को पैदल ही यात्रा करनी पड़ती है[i].. क्यूंकि यहाँ यहाँ तक आने के लिए गाड़ी घोड़ों की व्यवस्था नहीं है।

खिरौं

घाटी खिरौं घाटी का सौंदर्य इतना निखरा हुआ रहता है की यहाँ तक आने के लिए पर्यटक खतरनाक रास्तों की भी परवाह नहीं करते हैं। हालांकि यहाँ तक बस पैदल ही आया जा सकता है।[i].. जो पर्यटक ट्रेकिंग के शौक़ीन हैं वह यहाँ अवश्य आएं।

कागभुशुंडि ताल

कागभुशुंडि ताल तक पहुँचने के लिए भी पैदल ही यात्रा करनी पड़ती है[i].. क्यूंकि यहाँ पर भी कोई साधन उपलब्ध नहीं है। यहाँ ट्रेकिंग करने का अपना अलग ही मज़ा है।

पांडुकेश्वर

पांडुकेश्वर महाभारत कालीन से जुड़ा हुआ है इसी वजह से इस स्थान का अपना अलग ऐतिहासिक महत्त्व है। यहीं पास में दो मंदिर भी हैं जो कलात्मक शैली के अद्भुत धरोहर हैं[i]..

बद्रीनाथ के प्रमुख दर्शनीय स्थल जहाँ आप अवश्य जाएँ

अलकनंदा के तट पर स्थित तप्त-कुंड, धार्मिक अनुष्टानों के लिए इस्तेमाल होने वाला एक समतल, चबूतरा- ब्रह्म कपाल, पौराणिक कथाओं में उल्लिखित सांप (साँपों का जोड़ा), शेषनाग की कथित छाप वाला एक शिलाखंड-शेषनेत्र, चरणपादुका :-[i].. जिसके बारे में कहा जाता है कि यह भगवान विष्णु के पैरों के निशान हैं (यहीं भगवान विष्णु ने बालरूप में अवतरण किया था।) बदरीनाथ से नज़र आने वाला बर्फ़ से ढंका ऊँचा शिखर नीलकंठ, माता मूर्ति मंदिर (जिन्हें बदरीनाथ भगवान जी की माता के रूप में पूजा जाता है),[i].. माणा गाँव- इसे भारत का अंतिम गाँव भी कहा जाता है, वेद व्यास गुफा, गणेश गुफा (यहीं वेदों और उपनिषदों का लेखन कार्य हुआ था) भीम पुल (भीम ने सरस्वती नदी को पार करने हेतु एक भारी चट्टान को नदी के ऊपर रखा था जिसे भीम पुल के नाम से जाना जाता है), वसु धारा (यहाँ अष्ट-वसुओं ने तपस्या की थी) ये जगह माणा से 8 किलोमीटर दूर है। [i]..कहते हैं की जिसके ऊपर इसकी बूंदे पड़ जाती हैं उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और वो पापी नहीं होता है, लक्ष्मी वन (यह वन लक्ष्मी माता के वन के नाम से प्रसिद्ध है), सतोपंथ (स्वर्गारोहिणी) (कहा जाता है कि इसी स्थान से राजा युधिष्ठिर ने सदेह स्वर्ग को प्रस्थान किया था), [i]..अलकापुरी (अलकनंदा नदी का उद्गम स्थान। इसे धन के देवता कुबेर का भी निवास स्थान माना जाता है), सरस्वती नदी (पूरे भारत में केवल माणा गाँव में ही यह नदी प्रकट रूप में है), भगवान विष्णु के तप से उनकी जंघा से एक अप्सरा उत्पन्न हुई जो उर्वशी नाम से विख्यात हुई, बदरीनाथ कस्बे के समीप ही बामणी गाँव में उनका मंदिर है।[i]..

बद्रीनाथ धाम कैसे पहुंचे ?

हवाई मार्ग

बद्रीनाथ से निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट है, जो ऋषिकेश से सिर्फ 26 किमी दूर स्थित है। हवाई अड्डे से, यात्रियों को बद्रीनाथ पहुंचने के लिए टैक्सी या बस सेवा लेनी होगी |[i]..

ट्रेन द्वारा

बद्रीनाथ धाम से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश (297 किलोमीटर), हरिद्वार (324 किलोमीटर) और कोटद्वार (327 किलोमीटर) हैं।[i].. यहाँ से कैब के द्वारा या फिर बस द्वारा ही बद्रीनाथ धाम पंहुचा जा सकता है | ऋषिकेश फास्ट ट्रेनों से नहीं जुड़ा है और कोटद्वार में ट्रेनों की संख्या बहुत कम है।[i].. इस प्रकार यदि आप ट्रेन से बद्रीनाथ जा रहे हैं तो हरिद्वार सबसे अच्छे रेलवे स्टेशन के रूप में कार्य करता है। हरिद्वार भारत के सभी भागों से कई ट्रेनों द्वारा जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग

सड़क मार्ग से बद्रीनाथ धाम आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह दिल्ली से 525 किलोमीटर और ऋषिकेश से 296 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।[i].. दिल्ली, हरिद्वार और ऋषिकेश से बद्रीनाथ के लिए नियमित अन्तराल पर बसें उपलब्ध रहती हैं। ऋषिकेश बस स्टेशन से बद्रीनाथ के लिए नियमित अन्तराल पर बसें चलती हैं और सुबह होने से पहले ही बस सेवाएं शुरू हो जाती हैं। जोशीमठ के बाद सड़क संकीर्ण है और सूर्यास्त के बाद सड़क मार्ग पर यात्रा करने की अनुमति नहीं होती है।[i].. इसलिए यदि कोई ऋषिकेश बस स्टेशन पर बद्रीनाथ के लिए बस लेने से चूक जाता है, तो उसे रुद्रप्रयाग, चमोली या जोशीमठ तक की बस लेनी पड़ेगी और यहाँ से बद्रीनाथ तक बस या कैब के द्वारा सफ़र करना पड़ेगा |  

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