गंगोत्री धाम और प्रमुख पर्यटन स्थल की जानकारी

गंगोत्री धाम उत्तरकाशी में स्थित एक तीर्थस्थल हैं यह स्थान चार धामों में से एक हैं। गंगोत्री धाम के बारे में एक पौराणिक कथा प्रचलित हैं, जिसमे राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजो के पापो को धोने के लिए देवी गंगा को धरती पर लाने के लिए तपस्या की और जल के रूप में देवी गंगा ने भगवान शिव की जटाओं से होते हुए धरती तक का सफ़र तय किया। यही से हिमालय का हिमनद भी निकला हैं [i]जिसे भागीरथी भी कहां जाता हैं। देवप्रयाग से गुजरने और अलकनंदा नदी में विलीन होने के बाद इस नदी का नाम गंगा रखा गया हैं। गंगोत्री धाम पर्यटकों के लिए अतिप्रिय तीर्थ स्थल है, यहां आने वाले पर्यटकों की तादाद वर्ष भर बहुत अधिक होती हैं। यदि आप भी इस पावन धाम की यात्रा का विचार बना रहे हैं, तो हमारे इस लेख को एक बार जरूर पढ़े[i] –

गंगोत्री के आस पास की जगह

भागीरथी नदी का जलाश्रय स्थल घने जंगलों में हैं।[i] इस क्षेत्र में बर्फीले पहाड़,ग्लेशियर,लंबी पर्वत श्रेणियां,गहरी घाटियां,खड़ी चट्टानें और संकरी घाटियां हैं।इस स्थान की समुद्र तल से ऊंचाई 1800 से 7083 मीटर के बीच है। पर्यटकों को यहां अल्पाइन शंक्वाकार वृक्षों के वन,अल्पाइन झाड़ियां,तथा हरे-भरे घास के मैदान देखने का अवसर मिलता है। यह वनक्षेत्र गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित है,तथा इसका विस्तार भारत-चीन सीमा तक है। गंगोत्री अपने प्राचीन मंदिरों एवं धार्मिक विश्वासों के लिए प्रसिद्ध है। गंगोत्री मंदिर यहां का एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है। इस मंदिर का निर्माण गोरखा राजा,अमर सिंह थापा द्वारा 18 वीं सदी में करवाया गया था। देवी गंगा की पूजा के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर की यात्रा करते हैं। पर्यटक 'ज्ञानेश्वर मंदिर' और 'एकादश रुद्र मंदिर' भी देख सकते हैं। बाद वाला मंदिर एकादश रूद्राभिषेकम पूजा के उत्सव के लिए प्रसिद्ध है। भागीरथी शिला एवं गंगोत्री के जलमग्न शिवलिंग के साथ कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। यह प्राकृतिक शिवलिंग सर्दियों के मौसम के दौरान जलस्तर घटने पर ही दिखाई देता है। भागीरथी शिला पत्थर का एक टुकड़ा है,तथा ऐसा माना जाता है कि इस पर बैठकर राजा भागीरथ ने तप किया था।[i] पर्यटक गंगोत्री मंदिर के निकट स्थित सुंदर गौरी कुंड और सूर्य कुंड को देखने का आनन्द ले सकते हैं। गंगोत्री में ट्रैकिंग का पूरा मजा उठाया जा सकता है।शहर से एक छोटे मार्ग द्वारा पाण्डव गुफा पहुंचा जा सकता है।यह केव(हिंदी में'गुफा'),महाकाव्य 'महाभारत' के पौराणिक योद्धाओं’पांडवों‘ का आराधना स्थल माना जाता है। पर्यटक समुद्र तट से लगभग 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित दयारा बुग्याल की ट्रैकिंग का भी मजा उठा सकते हैं। यह ऊंचाई पर स्थित सुंदर घास का मैदान है, जहां से यात्री विशाल हिमालय के लुभावने दृश्य को देखने का लूत्फ उठा सकते हैं। घास के मैदान तक पहुंचने के लिए दो ट्रेकिंग मार्ग हैं जो क्रमशः बरसू तथा रैथाल गांव से वहां तक पहुंचते हैं।[i] इन ट्रैकिंग मार्गों में से एक के रास्ते में मिलने वाले शेषनाग मंदिर के दर्शन किये जा सकते हैं। सर्दियों के मौसम में पर्यटक नार्डिक और अल्पाइन स्कीइंग का भी आनंद ले सकते हैं। नजदीक ही स्थित औली,मंडली, कुश कल्याण, केदार कंठ,टिहरी गढ़वाल, बेडनी बुग्याल, और चिपलाकोट घाटी ऐसे स्थान हैं जो स्कीइंग के लिए आदर्श हैं। गंगोत्री शहर, गंगोत्री-गौमुख-तपोवन की ट्रैकिंग के लिए आधार शिविर है। इस गंतव्य स्थल से केदारताल के लिए भी ट्रैकिंग मार्ग है। गंगोत्री के आसपास अन्य लोकप्रिय पर्यटन आकर्षण के केंद्र ग्लेशियर गंगा, मनीरी , केदार ताल, नन्दनवन, तपोवन विश्वनाथ मंदिर, डीडी ताल, टिहरी, कुटेती देवी मंदिर, नचिकेता ताल, गंगनी हैं।[i]

गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट

गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया पर 26 अप्रैल को खोले जा रहे हैं। लेकिन, लॉकडाउन के चलते श्रद्धालुओं को दोनों धाम में दर्शनों की अनुमति नहीं होगी।[i] हालांकि, इस सबके बीच गंगोत्री मंदिर समिति और प्रशासन मंथन कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में गंगा आरती और धाम के लाइव दर्शन देश-विदेश के श्रद्धालुओं को कराएं जाएं। इसके लिए जियो कंपनी ने अपनी लाइन गंगोत्री धाम तक पहुंचा दी है। लेकिन, यमुनोत्री धाम में आरती व मंदिर के लाइव दर्शनों के लिए तैयारियां शुरू नहीं हुई हैं।[i] अलबत्ता, दोनों धाम के तीर्थ पुरोहितों ने यजमानों के आग्रह पर वॉट्सएप वीडियो कॉल व मोबाइल कॉल के जरिये लाइव पूजा कराने व सुनाने का निर्णय लिया है।

गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने बताया[i] कि धाम में लाइव पूजा का प्रचलन पूर्व से ही है। तीर्थ पुरोहित अपने यजमानों के आग्रह पर वॉट्सएप वीडियो कॉल व मोबाइल कॉल के जरिये पूजा लाइव दिखाते और सुनाते हैं। इस बार इंटरनेट कनेक्टिविटी ठीक रही तो लाइव पूजा भी कराई जाएगी। साथ ही डाक के जरिये पहले की तरह गंगाजली व प्रसाद भी भेजा जाएगा।[i] गंगोत्री मंदिर समिति के सह सचिव राजेश सेमवाल ने बताया कि अभी लाइव गंगा आरती की व्यवस्था तो नहीं हुई है, लेकिन आने वाले दिनों के लिए इसकी तैयारियां चल रही हैं।

इसके अलावा अभी किसी श्रद्धालु ने लाइव पूजा कराने और डाक से प्रसाद भेजने की मांग भी नहीं की है। लेकिन, यदि ऐसी मांग होती है तो श्रद्धालुओं को डाक से प्रसाद भेजा जाएगा।[i].. बताया कि आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं को गंगोत्री धाम और गंगा आरती के लाइव दर्शन हो सकेंगे। लेकिन, गर्भगृह में फोटो लेना या वीडियो बनाना प्रतिबंधित है। बताया कि लॉकडाउन तक गंगोत्री धाम में सिर्फ पांच पुजारी ही रहेंगे उधर, यमुनोत्री मंदिर समिति के सदस्य कीर्तेश्वर उनियाल ने बताया कि यमुनोत्री में अभी लाइव आरती की कोई व्यवस्था नहीं हुई है। लेकिन, कोई श्रद्धालु यदि लाइव पूजा करवाना चाहता है तो उसे केवल मोबाइल फोन के जरिये ही पूजा की गतिविधि को सुनाया जा सकता है। डाक से प्रसाद भेजने की व्यवस्था भी की गई है।[i]..

भोजवासा गंगोत्री

भोजबासा गंगोत्री यात्रा में बीहड़ इलाकों पर एक सुंदर स्थान है[i].. और यह समुद्र तल से 3,775 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गंगोत्री से शुरू करके भोजबासा तक 14 किलोमीटर लम्बी ट्रेक के माध्यम से पहुंचा जा सकता हैं। यह रास्ता बीहड़ इलाकों से होते हुए भागीरथी नदी तक जाता है।

गंगनानी

गंगोत्री धाम की यात्रा के दौरान गंगनानी शहर उत्तरकाशी से गंगोत्री जाने वाले मार्ग पर लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक आकर्षित पर्यटक स्थल है।[i].. यह स्थान आध्यात्मिक रूप से इच्छुक और मन की शांति के लिए एक आदर्श स्थान है। यह स्थान प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श माना गया हैं। उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी में स्थित शानदार पहाड़ो के साथ-साथ यह पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं।[i]..

अगर आप इस बार गंगोत्री की यात्रा पर जाना चाहते हैं तो आप अपनी यात्रा की प्लानिंग और पूरे ट्रिप के बारे में जानकारी के लिए यहां पढ़ें...

पहले दिन की यात्रा

अगर आप दिल्ली या आस-पास के एरिया से हरिद्वार जा रहे हैं तो आपको करीब 235 किलोमीटर का सफर करना होगा और आप मात्र 4 से 6 घंटे में हरिद्वार पहुंच सकते हैं। यहां पहुंचकर शाम के समय हर की पैड़ी पर गंगा आरती में भाग ले सकते हैं।[i].. अगर आप पब्लिक ट्रासपोर्ट जैस बस या शेयरिंग टैक्सी से यात्रा कर रहे हैं तो बेहतर होगा कि आप हरिद्वार के बजाय सीधे ऋषिकेश पहुंचें और रात में वही विश्राम करें। क्योंकि अगली सुबह ऋषिकेश से गंगोत्री या उत्तरकाशी के लिए आपको सीधी बस या टैक्सी मिल जाएगी।[i]..

दूसरे दिन की यात्रा

अगली सुबह नाश्ते के बाद आप उत्तकाशी के लिए यात्रा शुरू करें। इस दिन आपको करीब 110 किलोमीटर का सफर तय करना होगा। इस दौरान आपकी गाड़ी चंबा होते हुए सफर करेगी [i]..और आप हिमालय की सुंदर चोटियों को निहार सकेंगे। पूरे रास्ते आपको सीनरी जैसे नजारे देखने को मिलेंगे।

तीसरे दिन की यात्रा

यात्रा के तीसरे दिन आपको गंगोत्री धाम के लिए निकलना है और उस दिन आप करीब 110 किलोमीटर की यात्रा करेंगे। रास्ते में विल्सन कॉटेज, सत ताल और गर्म पानी के झरने गंगनानी की घूम सकते हैं। इस दौरान आप देवदार के घने जंगलों के बीच यात्रा करेंगे।[i].. इनमें से किसी भी जगह आप लंच करें और फिर एक घंटे में आप गंगोत्री धाम पहुंच जाएंगे। यहां आप मां गंगा की पूजा अर्चना कर सकते हैं। यहां की प्राकृतिक छटा आपके अंदर गहराई तक शांति भर देगी।

चौथे दिन की यात्रा

इस दिन आपको गंगोत्री से हरिद्वार और हरिद्वार से दिल्ली का सफर करना होगा। इस दौरान आपक करीब 420 किलोमीटर का सफर करेंगे। इस दिन सुबह नाश्ते के बाद आप बस से हरिद्वार आ सकते हैं। यहां से आपको बस और प्राइवेट टैक्सी से हरिद्वार आने के विकल्प मिलेंगे।[i].. इसके बाद आप चाहें तो हरिद्वार में रूककर आराम कर सकते हैं या फिर बस या ट्रेन से वापस दिल्ली आ सकते हैं। रात में आप दिल्ली पहुंचेंगे। इस तरह मात्र 4 दिन में आप पवित्र धाम की यात्रा कर सकते हैं।

गंगोत्री कैसे जाएं

वायु, रेल और सड़क मार्ग से आसानी से गंतव्य तक पहुंचा जा सकता है। पर्यटक देहरादून में स्थित जौली ग्रांट हवाई अड्डे से टैक्सी द्वारा गंतव्य तक पहुँच सकते हैं।[i].. इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे,नई दिल्ली से देहरादून के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से रेलगाड़ियां भी उपलब्ध हैं।[i].. पर्यटक, नजदीकी शहरों से गंगोत्री के लिए नियमित बस सेवाओं का भी लाभ उठा सकते हैं।

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